Integrity Score 160
No Records Found
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Nice
याद रखो
याद रखो- हम अकेले आए हैं और अकेले ही जाएंगे। यहां की न तो कोई चीज हमारे साथ जाएगी और न ही कोई आत्मीय या स्वजन ही साथ जाएगा।
याद रखो- आज घर में हमारी बड़ी आवश्यकता है। हम भी ऐसा मानते हैं कि मुझसे ही सारा काम चलता है और मेरे न रहने पर काम कैसे चलेगा। पर हमारे मरते ही कोई न कोई व्यवस्था हो जाएगी और कुछ दिनों बाद तो हमारे अभाव का स्मरण भी नहीं होगा।
याद रखो- जैसे आज हम अपने पिता और पितामह आदि को भूल गए हैं और अपनी स्थिति में मस्त हैं, ऐसे ही हमारी संतान भी हमें भूल जाएगी।
याद रखो- हम व्यर्थ में आसक्ति तथा ममता के जाल में फंस रहे हैं और मानव जीवन के असली ध्येय को भूलकर, जिससे एक दिन सारा संबंध छूट जाएगा और कभी उसकी याद भी नहीं आएगी, उसी में मन को फंसाकर जीवन को अधोगति की ओर ले जा रहे हैं।
याद रखो- जब तक हम यह सोचते रहेंगे कि अमुक परिस्थिति आने पर भगवान का भजन और सुमिरन करूंगा, तब तक भजन और सुमिरन बनेगा ही नहीं बल्कि परिस्थिति की कल्पना बदलती रहेगी। अगर हम जिस भी परिस्थिति में हैं और उसी में भजन और सुमिरन आरंभ कर देंगे, तो भजन और सुमिरन भी होने लगेगा और परिस्थिति भी अपने आप ही अनुकूल हो जाएगी
याद रखो- मानव जीवन अजगरों की भांति लंबे काल तक नहीं रहता। फिर इस समय तो बालक तथा तरुण भी सहसा मृत्यु के शिकार हो जाते हैं। अतएव बुढ़ापे की प्रतीक्षा न करके तुरंत भजन और सुमिरन में लग जाना चाहिए। यह अवसर यदि हमारे हाथ से निकल गया तो पीछे सिवा पछताने के और कोई भी उपाय नहीं रह जाएगा।
याद रखो- परमात्मा ने हम पर कृपा करके इस संसार सागर से तरने और परमात्मा का प्रेम प्राप्त करने के सारे साधन सुलभ कर दिए हैं। इन साधनों को पाकर भी यदि हम असावधान रहेंगे, और इनसे लाभ नहीं उठाएंगे, तो हमारे सामान मूर्ख और कौन होगा?