Integrity Score 130
No Records Found
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गृहमंत्रालय ने सभी सुरक्षाबलों को कहा है कि वे हार्ड व सॉफ्ट पोस्टिंग के बीच रोटेशनल तबादला नीति का सख्ती से अनुपालन करते हुए सभी तबादले सॉफ्टवेयर के जरिये करें। जिससे तबादलों में पारदर्शिता रहे। गृहमंत्री के निर्देश का हवाला देते हुए सुरक्षा बलों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि आईटीबीपी,सीआईएसएफ और एसएसबी ने बताया है कि उनका सॉफ्टवेयर तैयार है। जबकि सीआरपीएफ, बीएसएफ और असम राइफल्स ने कहा है कि उनका सॉफ्टवेयर एडवांस चरण में है। मंत्रालय ने सभी सुरक्षाबलो से कहा है कि गृहमंत्री के निर्देश को काफी समय बीत चुका है इसलिए अब इसमे देरी नही होना चाहिए।
आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016 में करीब 30 फीसदी तबादलों से जुड़े आवेदन खारिज होते थे लेकिन बाद के सालों में यह आंकड़ा 50 से 60 फीसदी तक पहुंच गया है। जवान अपनी पसंद की जगह तबादला न मिलने से परेशान होते हैं।
कई बार जटिल तबादला नीति के चलते उचित तबादला आवेदन पर भी फैसले में काफी देर होती है। हालांकि सुरक्षा बल से जुड़े अधिकारी दावा करते हैं कि तबादलों को लेकर सभी सुरक्षा बलों में उचित तंत्र बनाया गया है।
दरअसल बड़ी संख्या में ऐसे कर्मी आवेदन करते हैं जो तबादले के लिए अर्हता नही पूरी करते। ज्यादातर ऐसे आवेदन भी खारिज किये जाते हैं जो अपनी तैनाती का कार्यकाल पूरा किये बिना आवेदन करते हैं।
दावा किया जाता है कि अगर कोई मेडिकल आवश्यकता है या कोई अन्य आकस्मिक स्थिति है तो ऐसे मामलों में प्राथमिकता के आधार पर विचार किया जाता है। जबकि अर्धसैन्यबल से जुड़े जवानों की कई शिकायत हैं कि मेडिकल आधार पर भी तबादले के लिए काफी वक्त इंतजार करना पड़ता है।
आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016 में करीब 29.58 फीसदी ट्रांसफर से जुड़े आवेदन खारिज हुए थे। जबकि वर्ष 2018 में ये आंकड़ा 60 फीसदी पार कर गया। कोविड काल मे पहले तबादलों पर रोक लगा दी गई। बाद में सशर्त तबादले भी बहुत कठिनाई से हुए इसकी वजह से ये आंकड़ा और भी बढ़ गया।