Integrity Score 130
No Records Found
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हम आपको ले चल रहे हैं अरावली पहाड़ियों के बीच बसे गांव सुदरपुरा। वैसे तो कई मायनों में ये गांव भारत के अन्य गांव की तरह ही है। पर जब यहां का एक नौजवान मैं से निकल कर हम और हमारे का भाव लेकर एक सपना साकार करने के लिए चल पड़ता है तो सुदरपुरा जैसे गांव नज़ीर बन जाते हैं। नौजवानों के लिए और खासकर उन लोगो के लिए जो समाज के प्रति अपनी जवाबदेही समझते हैं।
कुछ समय पहले तक ये गांव पानी की कमी , बेरोज़गारी और मूलभूत आवश्यकताओं की कमी से जूझ रहा था। लेकिन विष्णु मित्तल ने गांव के हर दर्द और परेशानी को महसूस किया। आखिर क्यों न समझते इसी गांव की मिट्टी में पल बढ़कर संघर्ष करते हुए वे दिल्ली पहुंचे और एक मुकाम हासिल किया। विष्णु मित्तल अब चाहते हैं कि जो कमी उन्होंने महसूस की वो आने वाली पीढ़ी को महसूस न हो। जो परेशानियां उन्होंने झेली वो आने वाली पीढ़ी को न झेलनी पड़े।
चुनौती को अवसर में बदलने का जज्बा लिए मित्तल गांव के नौजवानों को भी आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं। उनकी मंशा पूरे गांव को मॉडल गांव में तब्दील करने की है। इस मुहिम में गांव की विरासत और पुरानी अच्छी परंपराओं को भी सुरक्षित रखने का बीड़ा उन्होंने उठाया है। किसानों की आय बढ़ाने, गांव की बावड़ी,कुओं को जलमय बनाने और भूख मिटाने की उनकी बहुआयामी सेवा का केंद्र उनका गांव ही नही बल्कि पूरा कोटपुतली बन रहा है।
करीब एक दशक से सूखे पड़े तालाब , बाबड़ी, कुंए एक बार फिर पुनर्जीवित होकर अपनी पुरानी लय में लौट रहे हैं।
अब तक संस्था द्वारा 6 जलाशयों को पुनर्जीवित करने का काम लगभग पूरा हो चुका है आने वाले समय मे 12 अन्य को पूरा करने का लक्ष्य है।
इसके अलावा संस्था गांव की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने और सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूकता पैदा कर रही है। इनके लिए 100 महिलाओं के 10 समूह तैयार किये गए है। जो गॉव में रहकर महिलाओ को सरकारी योजनाओं की जानकारी दे रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा महिलाओ को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।