Integrity Score 400
No Records Found
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More power to her 🙏🙏
More power and light
Great post
Great job
65 साल की कौशल्या उन गिने-चुने आदिवासियों में से है जो चित्रकूट ज़िले में अपना व्यापार चला रहे हैं.
कौशल्या अन्य आदिवासी महिलाओं की तरह जंगल से लकड़ियाँ काटकर बेचने का काम करती है लेकिन उसके साथ उन्होंने यह भी सोचा कि क्यों ना मैं मौसमी फलों का व्यापार भी शुरू करूँ.
बारिश के मौसम में मक्का खाना किसको पसंद नहीं है. यही सोचकर कौशल्या ने अपने मक्के का छोटा दुकान ज़िले के स्टेशन के सामने खोल लिया है. जंगल के लकड़ियों से गर्मागर्म मकाई सेकती है कौशल्या. अब जब मौसम बदलेगा तो सिंघाड़े बेचना शुरू करेगी, उसके बाद सेब, फिर आम, फिर केला. मौसम के हिसाब से कौशल्या ने अपना बिज़्नेस प्लान किया है.
चित्रकूट के आदिवासी समुदाय के लिए रोज़गार के ज़रिए कम हो रहे है - जंगल के उत्पाद पर पूरा साल नहीं निकल रहा है और मज़दूरी के इतने मौक़े भी नहीं निकल रहे है. इन परिस्थितियों को देखकर कौशल्या ने काम और पैसों के लिए अपना खुद का व्यापार शुरू कर लिया है.