Integrity Score 400
No Records Found
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महिला और काम सीरीज में आज मिलिए 35 वर्षीय सुनीता राजपूत से जो चित्रकूट जिले के भौरी गांव की है. सुनीता एक एकल महिला है जिनके दो बच्चे है. मायके और ससुराल से सुनीता कोई सहारा नहीं मिला. अब सुनीता चित्रकूट में सामान ढ़ोने का काम करती है.
सुनीता सुबह के 9 बजे से लेकर शाम के 7 बजे तक सामान और माल ढुलाई का काम करती है. ट्रांसपोर्ट से दुकान तक के हर एक सैर में वो लगभग 50 क्विंटल का बोझ अपनी ठेलिया पर लादती है. ट्रांसपोर्ट का सामान नहीं मिला तो सब्जी की बोरी उठती है. दिनभर के परिश्रम के सुनीता को 200-250 रुपये मिलते है जिससे वो अपना घर चलाती है. सुनीता ने एक बेटी की शादी कर दी है जबकि अपने लड़के को गरीबी की वजह से सिर्फ कक्षा 8 तक पढ़ा पायी है. कोरोनाकाल में जिले में काम मिलना बहुत मुश्किल होगया तो सुनीता गांव जाकर खेतों में मजदूरी कर रही थी. एकल महिला होते हुए गांव वालों के ताने सुनने पड़े थे.